प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग: कारण, लक्षण और देखभाल
माँ बनना जितना खूबसूरत एहसास है, उतनी ही माँ बनने की यात्रा मुश्किल। प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला बहुत से नए अनुभव करती है, कई परेशानियों से गुज़रती है। इन्हीं में से एक है प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना। अभी आपके मन में कई सवाल आ रहे होंगे जैसे कि प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कब होती है, प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग क्यों होती है, या फिर इसे रोकने के घरेलू उपाय। आइए जानते हैं।
पहली तिमाही की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग के कारण
शुरुआत की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग के कई कारण हो सकते हैं। प्रेगनेंसी में स्पॉटिंग एक आम बात है, पर अगर ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर है।
1 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना सामान्य है, इसके पीछे के कारण ये हो सकते हैं –
- गर्भपात – 20 वें हफ़्ते के पहले गर्भ का गिर जाना (miscarriage)।
- वजाइनल इन्फेक्शन
- हार्मोनल परिवर्तन
- संभोग
- निषेचित अंडा गर्भाशय की परत में खुद को प्रत्यारोपित करता है, जिसकी वजह से शुरुआत के 6-12 दिनों में हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना पहली तिमाही का आम हिस्सा है, इसके ये कारण हो सकते हैं –
- प्रेगनेंसी के पहले महीने में ब्लीडिंग के दिए गए कारण।
- प्रत्यारोपण ब्लीडिंग
- पेल्विक टेस्ट या अल्ट्रासाउंड के बाद
- पेल्विक टेस्ट, इत्यादि।
3 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना एक आम बात है जो कई गर्भवती महिलाएं अनुभव करती हैं। पर प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कब होती है? इसके कुछ संभावित कारण हो सकते हैं –
- प्रेगनेंसी के पहले और दूसरे महीने में ब्लीडिंग के दिए गए कारण।
- बोसरियोनिक हेमेटोमा (subchronic hematoma) की वजह से भी प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है।
- प्रेग्नेंसी में यूटेरस की थैली फटने से बच्चा पेट की तरफ खिसक जाता है, जिससे ब्लीडिंग हो सकती है।
- एक्टोपिक गर्भावस्था (ectopic pregnancy) – जब गर्भावस्था गर्भशाय के बाहरी रूप से होती है उस स्थिति को एक्टोपिक गर्भावस्था कहा जाता है।
- प्लेसेंटा प्रीविया – जब प्लेसेंटा पेट के पूरे या आंशिक हिस्से को घेर लेता है।
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प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कितनी होती है
प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कितनी होती है इसका कोई सटीक जवाब नहीं है। पर अनुसंधान में माना गया है की शुरुआती 12 हफ्तों में 25% महिलाएं हल्की ब्लीडिंग से गुज़र सकती है। 1 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना सामान्य है और ये चिंताजनक नहीं है। गर्भधारण के 6-12 दिनों के बाद आप हल्की स्पोटिंग अनुभव कर सकती हैं जो कि बिल्कुल सामान्य है।
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प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग के लक्षण
प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग के ये लक्षण हो सकते हैं,
- बेहोशी या चक्कर आना
- धड़कनों का तेज़ होना
- स्पॉटिंग
- पेट में तेज़ दर्द उठना
- बुखार और ठंड लगना
- पेशाब के वक्त ब्लड आना,
- संकुचन (cramps or contractions)
- पेल्विक दर्द (pelvic or abdominal pain)
- समय से पूर्व प्रसव के लक्षण (premature labour)
प्रेगनेंसी के बाद के ब्लीडिंग के कारण
प्रेगनेंसी में डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होने को लोचिया कहा जाता है। जन्म देने के 4 से 6 हफ्ते तक ब्लीडिंग हो सकती है। नॉर्मल और सी सेक्शन दोनों में ही ब्लीडिंग होना एक आम बात है। ये रिकवरी के लक्षण होते हैं, जो दर्शाते है कि आपका शरीर शिशु के जन्म से रिकवर हो रहा है। हालांकि 6 हफ्तों के बाद भी ब्लीडिंग होना आम नहीं है और ये चिंताजनक हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग रोकने के घरेलू उपाय
घरेलू उपायों और सावधानियों से प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग रोकी जा सकती है। इनमें से कुछ उपाय हैं,
- आराम करें
- भारी सामान ना उठाएं
- संभोग ना करें
- हाइड्रेटेड रहें
- यात्रा ना करें
- तनाव ना लें
- सीढ़ी का इस्तेमाल कम करें, इत्यादि
- गंभीर दर्द या ब्लीडिंग होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें
डॉक्टर से कब संपर्क करें?
प्रेगनेंसी में हल्की ब्लीडिंग होना या स्पॉटिंग होना एक आम बात है, पर अगर बहुत अधिक ब्लीडिंग हो रही है तो डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर है। अगर आपको बहुत अधिक ब्लीडिंग हो रही है या फिर प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग के लक्षण दिख रहे हैं और आप चिंता में हैं तो 48 से 72 घंटो में डॉक्टर को दिखाना बेहतर होगा।
2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना, इसकी वजह हो सकती है इन्फेक्शन, गर्भपात, संबंध बनाना, प्रत्यारोपण ब्लीडिंग, इत्यादि।
प्रेगनेंसी में ब्लड आने पर आप पैंटी लाइनर या पद का इस्तेमाल करें, संबंध बनाने से बचें और ब्लीडिंग बढ़ने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
ट्रैपिक 100 mg नाम का इन्जेक्शन प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग रोकने के लिए दिया जाता है।
प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग रोकने के लिए अमरूद के पत्तों का सेवन किया जा सकता है।