सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान
प्राकृतिक प्रसव और सिजेरियन डिलीवरी आजकल के समय में सबसे प्रचलित प्रसव के तरीके हैं। जहां प्राकृतिक प्रसव सामान्य रूप से होता है, वहीं सिजेरियन डिलीवरी का उपयोग तब किया जाता है जब प्रसव में जटिलताएँ हों या मां और शिशु की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक हो। इस लेख में हम सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
सिजेरियन डिलीवरी क्या है?
कई लोगों को सिजेरियन डिलीवरी के बारे में यह जानकारी नहीं होती कि यह क्या है और इसकी आवश्यकता कब पड़ती है। तो हम आज इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। सिजेरियन डिलीवरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें गर्भ से शिशु को बाहर निकालने के लिए पेट की परतों में चीरा लगाया जाता है, जिसे हम C-Section के नाम से भी जानते हैं। आमतौर पर यह प्रक्रिया तब आवश्यक होती है जब माता या शिशु को प्रसव के दौरान कोई खतरा हो।
सिजेरियन डिलीवरी के फायदे
सिजेरियन डिलीवरी क्या है, इसे समझने के बाद ज़रूरी है कि हम सिजेरियन डिलीवरी के फायदे को भी जानें।
- मां और बच्चे की सुरक्षा : कई बार डिलीवरी के दौरान कॉम्प्लिकेशन आती हैं जैसे गर्भनाल का उलझ जाना, fetus का असामान्य स्थिति में होना या फिर मदर को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या। ऐसे में ये सर्जरी मां और बच्चे दोनो को बचाती है।
- प्रसव का समय निश्चित करना : सिजेरियन डिलीवरी के फायदे का समय निर्धारण प्रसव से पहले किया जाता है, जिससे मां को प्रसव के लिए मानसिक रूप से तैयार होने का समय मिल जाता है।
- प्रसव के दर्द से राहत: डॉयलेशन होने के बाद आपको प्रसव का दर्द शुरू हो जाता है, जिसपर कई बार प्राकृतिक प्रसव किया जाता है जिसमे बहुत दर्द होता है। पर C section करवाने से आपको उस दर्द से राहत मिल जाती है।
- जन्म की जटिलताओं को कम करना: सिजेरियन डिलीवरी के फायदे में प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं जिससे मां और बच्चे दोनो को खतरा हो सकता है, ये उन जटिलताओं को कम करता है।
- संक्रमण के खतरे को कम करना: कई बार सिजेरियन ऑपरेशन से आपके प्रसव के दौरान होने वाले इनफेक्शन के खतरे से भी राहत मिलती है।
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सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान
सिजेरियन डिलीवरी के फायदे तो हम जान चुके, अब हम सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान पर नजर डालते हैं:
- कई बार इस सर्जरी के दौरान आपको खून की कमी, संक्रमण और एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
- सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान में सिजेरियन का घाव प्राकृतिक प्रसव की तुलना में बहुत देर से भरता है।
- सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान में देखा गया है कि जब सिजेरियन डिलीवरी होती है तब आपका गर्भाशय कमज़ोर हो जाता है, जिस कारण से भविष्य में गर्भधारण में समस्या आती है।
- सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान ऑपरेशन के बाद कई बार आपको अपने खान-पान पर नियंत्रण करना पड़ता है जिससे आपको परेशानी हो सकती है।
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सिजेरियन डिलीवरी कब ज़रूरी होती है?
सिजेरियन डिलीवरी हर जगह ज़रूरी नहीं होती, पर कई बार इसकी ज़रूरत पड़ती है। आइए जाने कब ये ज़रूरी हो जाता है:
- जब शिशु की हृदय गति असामान्य हो।
- गर्भाशय का अत्यधिक रक्तस्राव हो।
- जब fetus गर्भनाल से उलझ गया हो।
- मां की पूर्व में सिजेरियन डिलीवरी हुई हो।
- मां को ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ की समस्या हो।
अगर इस तरह को कोई समस्या ना हो तो C section की अवश्यकता नहीं होती, इस समय आपके लिए प्राकृतिक प्रसव ही सबसे बेहतर होता है। इससे आपके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद खान-पान
सिजेरियन डिलीवरी के बाद खान-पान का ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। अगर उचित खान-पान ना मिले तो आपके घाव को भरने में समय लग सकता है और सिजेरियन डिलीवरी के बाद कमजोरी हो सकती है। आइए जानते हैं कि सी सेक्शन डिलीवरी के बाद क्या खाना चाहिए की आपका स्वास्थ बेहतर हो पाए:
- प्रोटीन, विटामीन और मिनरल्स को सही मात्रा में अपने भोजन में शामिल करें जिससे आपको पौष्टिक आहार मिले।
- अधिक से अधिक मात्रा में पानी पिएं, जिससे आप हाइड्रेटेड रहेंगे और आपकी कमज़ोरी दूर हो जाएगी।
- सिजेरियन डिलीवरी के बाद खान-पान में हरी सब्जी, फल, पनीर और पोल्ट्री का सेवन करें, इससे आपकी कमज़ोरी दूर होगी और आपको ताक़त मिलेगी।
निष्कर्ष
सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान दोनों हैं। हालांकि यह मां और शिशु की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है, इसे केवल आवश्यक परिस्थितियों में ही अपनाया जाना चाहिए। सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेना और उचित देखभाल करना बेहद जरूरी है। इसके बाद आहार और जीवनशैली पर ध्यान देने से सिजेरियन डिलीवरी के बाद कमजोरी को भी दूर किया जा सकता है।
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प्राकृतिक प्रसव और सिजेरियन डिलीवरी दोनों ही सुरक्षित हैं, लेकिन यह मां और शिशु की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है।
खून की कमी, संक्रमण, सर्जरी के बाद दर्द, और भविष्य में गर्भधारण की जटिलताएँ इसके मुख्य साइड इफेक्ट हैं।
सामान्य परिस्थितियों में प्राकृतिक प्रसव सबसे सुरक्षित होता है।
सी-सेक्शन के दौरान पेट और गर्भाशय की कुल 7 परतें काटी जाती हैं।